रंग लाई ग्राम कचहरी सचिवों की जंग, 60 साल की उम्र तक रह सकेंगे सेवा में


करीब 14 सालों के संघर्ष के बाद बिहार कचहरी सचिव संघ की सबसे बड़ी स्थाई नियुक्ति की मांग राज्य सरकार ने मान ली है। राज्य सरकार के हालिया निर्णय के अनुसार अब वे 5 साल की तदर्थ नियुक्ति के बदले 60 साल की उम्र तक सेवा में रह सकेंगे। पंचायती राज विभाग ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर कैबनेट को भेज दिया है। कैबनेट की स्वीकृति के बाद कचहरी सचिवों की स्थाई नियुक्ति प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी। 

ज्ञात हो कि बिहार में ग्राम पंचायत स्तर पर विकास कार्यों के संचालन और विवादों के न्यायिक मामलों के लिए अलग-अलग व्यवस्था है। राज्य में विकास कार्यों के लिए देश के अन्य राज्यों के समान ही निर्वाचित प्रधान, जिसे राज्य में ‘मुखिया’ कहा जाता है और पंचों यानी पंचायत सदस्यों का चुनाव जनता द्वारा किया जाता है। ग्राम पंचायत सचिव, ग्राम रोजगार सेवक, विकास मित्र, आवास सहायक, किसान सहायक, कंप्यूटर ऑपरेटर और लेखा सहायक ग्राम पंचायत के अधीन कार्य करते हैं। 

दूसरी व्यवस्था ग्राम न्यायालय की है, जो कि अन्य राज्यों में नहीं है। ग्राम न्यायालय के प्रधान, जिसे ‘सरपंच’ कहा जाता है का चुनाव भी जनता द्वारा ही किया जाता है। ग्राम न्यायालय ग्रामीणों के आपसी विवादों का हल करने और छोटे-मोटे आपराधिक मामलों पर नियंत्रण करता है और उसे सीमित दंडाधिकार भी प्राप्त हैं। सरपंच के अधीन ग्राम कचहरी सचिव, न्याय मित्र और न्याय सहायक कार्य करते हैं। न्याय मित्र और न्याय सहायक का कार्य केवल विवादों पर सुनवाई के समय कानून संबंधी जानकारी उपलब्ध कराना होता है जबकि कचहरी सचिव पूर्णकालिक कर्मचारी के रूप में कार्य करता है। लेकिन अब तक ग्राम कचहरी सचिव भी संविदा पर 5 साल के लिए नियुक्त किए जाते रहे हैं, जिन्हें लगभग 18,000 रुपए मासिक वेतन मिलता है। 

ग्राम कचहरी सचिव स्थाई नियुक्ति, वेतन वृद्धि, रिक्त पदों पर नियुक्ति जैसी कई की मांगों के लिए 2006-07 से ही निरंतर आंदोलन कर रहे थे। बिहार ग्राम कचहरी सचिव संघ के बैनर तले वे जिला मुख्यालयों से लेकर राजधानी पटना स्थित राज्य सचिवालय और राजभवन तक कई बार धरने-प्रदर्शनों का आयोजन कर चुके हैं। इधर जब राज्य में अस्थाई शिक्षकों सहित विभिन्न विभागों में अस्थाई कर्मचारी आंदोलन पर उतर आए हैं तो ग्राम कचहरी संघ भी अपनी पुरानी मांगों को लेकर आंदोलन का ऐलान कर चुका था। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ग्राम कचहरी सचिवों को स्थाई नियुक्ति का निर्णय ले लिया। 

बिहार में सभी 8387 ग्राम पंचायतों में एक ग्राम कचहरी सचिव की नियुक्ति का विधान है। वर्तमान में करीब 750 ग्राम कचहरी सचिव के पद रिक्त है। पंचायत राज विभाग के अनुसार पंचायतों में कार्यरत सभी कचहरी सचिवों को स्थाई नियुक्ति प्रदान की जाएगी और उसके साथ ही रिक्त पदों पर नई नियुक्तियां की जाएंगी। स्थाई नियुक्ति के बाद उन्हें वेतन व अन्य भत्तों सहित राज्य कर्मचारियों को मिलने वाली सभी सुविधाएं भी मिलने लगेंगी। 

ग्राम कचहरी सचिवों की इस जीत के साथ ही ग्राम पंचायत स्तर पर तैनात अन्य कर्मचारियों में भी उम्मीद जगी है कि उन्हें भी स्थाई नियुक्ति मिलेगी। ग्राम पंचायत स्तर केवल ग्राम पंचायत सचिव ही स्थाई नियुक्ति पर कार्य कर रहे हैं। ग्राम रोजगार सेवक, विकास मित्र, आवास सहायक, किसान सहायक, कंप्यूटर ऑपरेटर और लेखा सहायक न केवल संविदा पर कार्य कर रहे हैं बल्कि उनका मानदेय भी काम की तुलना में बहुत ही कम है। खासकर ग्राम रोजगार सेवकों पर काम का अत्यधिक दबाव है। उनकी नियुक्ति यों तो मनरेगा के तहत होती है लेकिन उनसे ग्राम पंचायत सचिव से भी अधिक काम लिया जाता है। यह स्थिति अकेले बिहार की नहीं है, अधिकतर हिंदी भाषी राज्यों की है। कुछ राज्यों मे ंतो रोजगार सेवकों का मानदेय मनरेगा श्रमिकों से भी कम है।


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