DAY-NRLM: समस्याओं के तकनीकी समाधान के लिए लॉन्च किया ‘सारथी’ ऐप (Sarathi App), नज इंस्टीटृयूट की होगी अहम् भूमिका


ग्रामीण विकास और ग्रामीण क्षेत्रों की गरीबी उन्मूलन के लिए आरंभ की गई योजनाओं में दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) मनरेगा (MGNREGA) के बाद सबसे महत्वपूर्ण है। इस अभियान के जरिए समाज के सबसे कमजोर लोगों के आर्थिक सशक्तिकरण के सरकार सतत प्रयासरत रही है। देश की प्रमुख सामाजिक संस्था नज इंस्टीªट्यूट (The/ Nudge Institute) के साथ साझेदारी सरकार की नई पहल है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने घोषणा की है कि एनआरएलएम से संबंधित समस्याओं के तकनीकी समाधान के रूप में सारथीऐप का उपयोग किया जाएगा। सारथी ऐप को नज इंस्टीट्यूट के साथ साझेदारी में विकसित किया गया है और इसे फिलहाल छह राज्यों में चालू किया जाएगा। सारथीऐप को लॉन्च करते हुए गृह मंत्रालय के सचिव सचिव शैलेश कुमार सिंह ने कहा कि इसका उपयोग सबसे कमजोर लोगों के साथ काम करने की लिए किया जाएगा। सभी तक पहुंच और समावेशन की दिशा में यह ग्रामीण विकास मंत्रालय की प्रमुख प्राथमिकताओं के अनुरूप उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय का दावा है कि यह सारथीऐप (Sarathi App) ग्रामीण आजीविका, के ग्रेजुएशन कार्यक्रम को समय पर, प्रभावी और कुशल कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने में बहुआयामी भूमिका निभाएगा  और उपभोग अनुदान से लेकर आजीविका अनुदान, आजीविका कोचिंग और लाभार्थियों तक लाभ की डिलीवरी सुनिश्चित करने का काम करेगा।

ज्ञात हो कि एनआरएलएम के अंतर्गत बड़े पैमाने के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में मानवीय त्रुटियों के जोखिम रहता है। प्रशासनिक कार्यों के बोझ के कारण जिला, ब्लॉक और ग्राम पंचायत स्तर पर बनाई जाने वाली टीमें तेजी से कार्य नहीं कर पाती, जिससे समय पर लक्ष्य पूरा नहीं होता। ग्रामीण विकास मंत्रालय मानना है कि इन समस्याओं के समाधान और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में स्वचालित उपकरणों और प्रौद्योगिकियों को शामिल करना भी अनिवार्य हो जाता है।

गरीबी उन्मूलन में एनआरएलएम की भूमिका (Role of NRLM in Poverty Elevation)

ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक विकास और स्वरोजगार (Economic Empowerment and Employment) की भावना विकसित करने के लिए आरंभ आजीविका-राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार आजिविका अभियानका मुख्य उद्देश्य स्थानीय मानव और भौतिक संसाधनों का उपयोग और उनका संवर्धन था। 2015 में इसका नाम बदलकर दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशनकर दिया गया और कई राज्यों में इसे दीनदयाल अंत्योदय योजना-राज्य ग्रामीण आजीविका मिशननाम से जाना जाने लगा। 

डे-आरएलएम के तहत देश के सभी राज्यों में महिला स्वयं सहायता समूहोंउल्लेखनीय कार्य किए हैं। कृषि और बागवानी से लेकर परंपरागत हस्तशिल्प, कृषि और गैर-कृषि आधारित व्यावसायकि गतिविधियों यहां तक कि ग्रामीण पर्यटन के क्षेत्र में स्वयं सहायता समूहों के कार्य सराहनीय रहे हैं। कोविड संकट के दौरान कई राज्यों में महिलाओं ने ग्राम पंचायत स्तर पर मास्क और पीपीई किट बनाकर ग्रामीणों और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की सहायता की थी।


यह भी महत्वपूर्ण है कि इस योजना से में प्रशासनिक क्षमता का विकास हुआ है। अक्सर घरों के आहाते में कैद रहने वाली महिलाओं ने अपने संसाधनों
, समय और कौशल का परिचय देकर पारिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारा है। जैसा कि बाराबंकी (उ.प्र) जिला आयुक्त-एनआरएलएम श्री बी.के. मोहन कहते हैं, इस योजना की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि इससे ग्रामीण गरीबों को महाजनों, साहूकारों और जमींदारों के कर्जे से निजात मिली है।

प्रशासनिक जटिलताओं और शिकायतों का निवारण करेगा सारथी

एनआरएलएम के सहायता समूहों को अक्सर प्रशासनिक जटिलताओं का सामना करना पड़ता है और ब्लॉक और जिला मिशन मैनेजर चाहकर भी उनकी अपेक्षित सहायता नहीं कर पाते। एनआरएलएम स्टाफ का पीपीपी (प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप) के तहत निजी कंपनियों और गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा नियुक्त होना है। उन्हें न केवल उन्हें बहुत कम वेतन मिलता है बल्कि अक्सर प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा का सामना करना पड़ता है।

सारथीऐप एनआरएलएम की इन समस्याओं का समाधन करेगा और सूचना प्रौद्योगिकी एवं स्वचालित उपकरणें के माध्यम से एनआरएलएम स्टाफ और स्वयं सहायता समूहों की शिकायतों का भी निवारण किया जाएगा। नज इंस्टीट्यूट के ग्रामीण विकास केंद्र के वरिष्ठ निदेशक जॉन पॉल ने कहा है कि सारथीऐप एनआरएलएम कर्मचारियों के प्रशासनिक दबाव को कम करने और सभी स्तरों पर पारदर्शिता सुनिश्चित करने का काम करेगा।

समस्याओं के समाधान के लिए सारथीऐप का उपयोग इससे पहले सेबी (Security and Exchange Board of India) ने शेयर मार्केट की समस्याओं के समाधान के लिए किया था। छत्तीसगड़ सरकार ने भी मई 2023 में लोगों की शिकायतों को दर्ज और ट्रैक करने तथा समय पर उनका निराकरण करने के लिए कई जिलों में सारथीऐप को लॉन्च किया था।  

ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा नज इंस्टीट्यूट की साझेदारी में इस ऐप को लॉन्च करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि नज इंस्टीट्टयूट को इस ऐप और ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करने का करीब 10 वर्षों का अनुभव है।

नज फाउंडेशन की उपलब्धि (Achievement of The/ Nudge Foundation)

नज इंस्टीट्यूट, जो कि 2015 में द नज फाउंडेशन, नाम से स्थापित किया गया था, ‘गरीबी मुक्त भारत का निर्माणके घोषित उद्देश्य के तहत 3 अलग-अलग केंद्रों के जरिए 11 कार्यक्रमों का संचालन कर रहा है। ये तीन केंद्र - सेंटर फॉर सोशल इनोवेशन, सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट और सेंटर फॉर स्किल डेवलपमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप हैं। 

अपने लक्ष्य के अनुरूप फाउंडेशन ने बेंगलुरु की मलिन बस्तियों में वंचित युवाओं की जरूरतों को समझते हुए उनके लिए कौशल विकास का कार्यक्रम आरंभ किया। संस्था ने तब 90 दिवसीय आवासीय कार्यक्रम के लिए गुरुकुलों की स्थापना की। इन गुरुकुलों का ध्येय वंचित युवाओं को जीवन, शिक्षा और आजीविका कौशल, के लिए प्रश्ाििक्ष्त करना है।

वर्तमान समय में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित के आर-सेटी ;त्नतंस ैमस िम्उचसवलउमदज ज्तंपदपदह प्देजपजनजमद्ध भी उसी तर्ज पर और उन्हीं उद्देश्यों के लिए कार्य करते हैं, जो कि विभिन्न राष्ट्रत बैंको की साझेदारी में आरंभ किए गए हैं।

नज फाउंडेशन की एक कार्यशाला में ग्रामीण

2022 में नज फाउंडेशन का नाम बदलकर नज इंस्टीट्यूट कर दिया गया, साथ ही उसके कार्यक्रमों का विस्तार गया। गरीबी उन्मूलन आजीविका कौशल के साथ-साथ जरूरतमंदों को वित्तीय सहायता प्रदान करना और युवाओं में डिजीटन शिक्षा का प्रसार किया  जाने लगा। ग्रामीण क्षेत्रों ये कार्यक्रम कृषि, पशुपालन और उनसे संबंधित सेवाओं केंद्रित है।

नज इंस्टीट्यूट की कामयाबी में अमेरिकी स्वैच्छिक संस्था रॉकफेलर फाउंडेशन(Rockefeller Foundation) का सहयोग अहम् माना जाता है। चिकित्सा अनुसंधान एवं कला के लिए आर्थिक सहायता और वित्त पोषण करने वाला रॉकफेलर फाउंडेशन कार्नेगी कॉरपोरेशनके बाद अमेरिका की दूसरी सबसे पुरानी प्रमुख परोपकारी संस्था है। 2016 में संस्था की संपत्ति 4.1 अरब डालर थी और संस्था ने 17.3 करोड़ डालर वार्षिक अनुदान था। 2020 में संस्था ने जीवाश्म ईंधन क्षेत्र में निवेश के अलावा समानता और समावेशन पर ध्यान केंद्रित करने की घोषणा की है।

आशंकाओं के साथ-साथ उम्मीदें भी जुड़ी हैं

हालांकि एनआरएलएम में निजी एवं स्वैच्छिक संस्थाओं की बढ़ती भागीदारी कई आशंकाओं को भी जन्म देती है। अक्सर कहा जाता है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों के संसाधनों पर विदेशी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की पहुंच और पकड़ बढ़ जाएगी। लेकिन विश्व बैंक से वित्त पोषण से आरंभ इस मिशन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिली ऊर्जा को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता।

कुटंबश्री योजना के 25 वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह में केरल के मुख्यमंत्री पी.विजयन

दक्षिण भारतीय राज्यों में इसके सकारात्मक परिणामों अत्यंत सराहनीय हैं। मुख्य रूपसे आंध्र प्रदेश (Indira Kranti Pratham) और केरल (Kutumb Shree) में, स्वयं सहायता समूहों की सामूहिक कार्रवाई देश के अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय है। इन दोनों राज्यों में एनआरएलएम के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन कि लिए प्रौद्योगिकी उपयोग किए जाने के साथ ही उनकी जिम्मेदारी प्रतिभाशाली और प्रतिबद्ध अधिकारियों को दिया जाना इसका मुख्य कारण रहा है। संक्षेप में कहा जाए तो सरकार को एनआरएलएम की समस्याओं के तकनीकी समाधान के साथ उसे जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यक्षमता के विकास और उनकी निष्ठा पर भी ध्यान देना चाहिए।


Source: https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1999586

Source: https://www.prnewswire.com/in/news-releases/rockefeller-foundation--thenudge-institute---301870230.html

 

 

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