MKSS के सह-संस्थापक निखिल डे अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी चैंपियन घोषित, अन्याय के विरुद्ध संघर्ष को मिला सम्मान

 प्रसिद्ध भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता, मजदूर किसान शक्ति संगठन (एमकेएसएस) के सह-संस्थापक  निखिल डे, दुनिया  के उन 11 प्रभावशाली व्यक्तियों में शामिल हैं, जिन्हें संयुक्त राज्य अमेरिाका सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी चैंपियंस 2023 (International Anti-Corruption Champions for 2023) के रूप में मान्यता दी है। 

Anti Corruption Cham pinions 2023 

अमेरिकी विदेश विभाग ने 7 दिसंबर को यह घोषणा करते हुए कहा है कि निखिल डे बीते 35 सालों से भारत में मजदूरों के सशक्तिकरण के लिए नीतिगतगत सुधारों के लिए निरंतर सक्रिय हैं। उन्होंने और उनके संगठन ने सरकारी योजनाओं में श्रमिकों के न्यूनतम भुगतान में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने और मजदूरों और किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता के लिए आंदोलनों का कुशलतापूर्वक नेतृत्व किया है। 

भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गारसेटी ने निखिल डे और एूकेएसएस को बधाई देते हुए कहा है कि अमेरिका सरकार हमेशा निखिल डे की तरह पारदर्शिता, कानून के शासन और न्याय के लिए संघर्षरत लोगों के साथ खड़ी रहती है। 

बदलाव में एमकेएसएस का भूमिका 

मुख्यरूप से राजस्थान में सक्रिय निखिल डे और एमकेएसएस के राष्ट्रीय योगदान को इसी बात से समझा जा सकता है कि उनकी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (MgNREGA) सूचना का अधिकार कानून (RTI) और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून बनवाने में उनकी अग्रणी भूमिका रही है। इन कानूनों को पारित करवाने में कितना संघर्ष करना पड़ा है और किस तरह आंदोलनकारियों को सरकार के दमन और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है, निखिल डे और एमकेएसएस-कार्यकर्ता बखूबी जानते हैं। 

आज भी जब मनरेगा, आरटीआई और खाद्य सुरक्षा कानून को कमजोर करने की कोशिश होती है तो उसके विरोध में निखिल डे और एमकेएसएस पहली पंक्ति में नजर आते है। इसका ताजा उदाहरण केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा बजट में की गई कटौती, श्रमिकों को निर्धारित समय सीमा में भुगतान न किए जाने और मनरेगा श्रमिकों की आधार आधारित उपस्थिति की व्यवस्था के विरोध में चले आंदोलनों में उनकी सक्रियता है।  

निखिल डे की सक्रियता की शुरूआत 

1963 में जन्मे निखिल डे के सामाजिक जीवन की शुरूआत 1987 में राजस्थान के राजसमं जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली और काम के बदले अनाज योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार का विरोध करने के साथ ही हुई। 1990 में उन्होंने स्वैच्कि सेवा निवृत आईएएस अधिकारी अरुणा राय के साथ मिलकर मजूदर किसान शक्ति संगठन का गठन किया। एमकेएसएस का प्राथमिक उद्देश्य बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और सामाजिक अन्याय के खिलाफ हाशिए पर मौजूद किसानों और मजदूरों की आवाज को सशक्त बनाना और एकजुट करना था। 

Nikhil Dey With Dr. Aruna Rai

अमेरिकी सरकार द्वारा निखिल डे को अंतरराष्ट्री भ्रष्टाचार विरोधी चैंपियन घोषित किए जाने ने उन्हें और उनके संगठन को वैश्विक स्वीकार्यता मिली है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले प्रतिष्ठित आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज को यह सम्मान प्राप्त हो चुका है। स्पष्ट है कि भारत में आज जहां सत्ता प्रतिष्ठानों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण उसे सामाजिक स्वीकार्यता मिल चुकी है वही समाज में ऐसे लगों की कमी नहीं है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं। 

आरटीआई बना परिवर्तन का उत्प्रेरक 

सार्वजनिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने और योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदिर्शिता लाने के लिए एमकेएसएस ने आम आदमी को सूचना का अधिकार बनाए जाने की मांग उठाई। आरंभ में यह मांग राज्स्थान तक सीमति थी, करीब एक दशक के संघर्ष के बाद उसे इसमें सफलता मिली। राजस्थान सरकार द्वारा सूचना का अधिकार कानून बनाए जाने के बाद उसने देश के प्रतिष्ठित कानूनविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाया। नतीजन 2005 में देश को सूचना का अधिकार कानून मिला। 

सूचना का अधिकार एमकेएसएस का लक्ष्य नहीं ग्रामीण गरीबों के उत्थान और किसानों और मजदूरों के सशक्तिकरण का एक उपकरण था। उन्होंने अपने कार्यक्रमों, अभियानों, विरोध प्रदर्शनों और स्थानीय समुदायों की लामबंदी के लिए आरटीआई के उपयोग माध्यम से, एक ऐसे आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दी। अंततः सरकार को ग्रामीण गरीबों के उत्थान के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून बनाना पड़ा। 

इसी क्रम में एमकेएसएस ने ग्रामीण और शहरी गरीबों को सस्ते दरों में खाद्यान्न दिए जाने की मांग उठाई, जिसकी सफल परिणति खाद्य युरक्षा कानून के रूप में हुई। वर्तमान समय में वह सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता के साथ-साथ जवाबदेही सुनिश्चित किए जाने को लेकर सक्रिय है। 

 अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी सम्मान का महत्व 

एमकेएसएस के इन सभी आंदोलनों और अभियानों में निखिल डे की अग्रणी भूमिका जगजाहिर है। हमेशा प्रसन्नचित्त रहने वाले हंसमुख निखिल डे की नेतृत्व-कुशलता ही है कि उसे जन सामान्य का समर्थन और विश्वास हासिल हो सका है। इसका परिणाम है कि आज आज राजस्थान ग्रामीण विकास की योजनाओं के किक्रयान्वयन में देश के अग्रणी राज्यों में शुमार हुआ है। अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी चैंपियन सम्मान से उनके साहस और उनकी प्रतिबद्धता को स्वीकार्यता और सम्मान मिला है। निखिल डे की भूमिका इसलिए भी प्रशंसनीय है कि उन्होंने सामाजिक मानदंडों का सम्मान करते हुए सामूहिक प्रयासों के माध्यम से शासन की जवाबदेही को उजागर करने का काम किया है। 

With American Delegation

भावी पीढ़ियों के प्रेरणास्रोत 

निखिल डे का संघर्ष और उनका सम्मान देश के उन सभी परिवर्तनकामी सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणादयक है जो सार्थक परिवर्तन के लिए सतत सक्रिय है और शासन की अभेद्य गोपनीयता के विरुद्ध संघर्षरत हैं। निखिल डे और उनकी तरह के सभी भ्रष्टाचार विरोधी चैंपियंस की कहानी समाज में बढ़ते भ्रष्टाचार के समामतर एक ऐसे अनुस्मारक की तरह है जो आने वाली पीढ़ी को सामूहिक कार्रवाई और अटूट विश्वास के साथ अन्याय के विरुद्ध लड़ने के प्रोत्साहित करती रहेगी।

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