AI for Agriculture : सूचना प्रौद्योगिकी से बदलेगी भारतीय कृषि की दशा और दिशा, तेलंगाना के किसानों की आय हुई दोगुना


 भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की निर्णायक भूमिका है। देश की दो-तिाहाई आबादी, जो गांवों में रहती है, उसका बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। यही कारण है कि जब भी ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की बात होती है, सबसे अधिक चर्चा कृषि पर ही होती है। दुर्भाग्य यह है कि बीते तीन दशकों के दौरा किसानों का  कृषि से मोहभंग हुआ है। आज, कोई भी किसान यह नहीं चाहता कि उसके पढ़-लिखकर कृषि करें।  इसकी वजह देश में कृषि का अत्यंत पिछड़ा और अलाभकारी होना है। इधर, इधर, कृषि क्षेत्र में कृत्रिम मेधा (Artificial Intelligence)  के उपयोग से नई उम्मीदें जगी हैं।

कृषि क्षेत्र की इस नई प्रवृति को समझने से पहले उन समस्याओं और चुनौतियों पर नजर डालना जरूारी है, जिनका सामना भारतीय कृषि वर्षों से कर रही है।

भारत में कृषि की समस्याएं और चुनौतियां (Problems and Challenges of Indian Agriculture)

दुनिया के अन्य देशों के समान ही भारतीय कृषि जगत को आमतौर दो तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है- एक प्राकृतिक और दूसरी सामाजिक-आर्थिक। ये समस्याएं प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से किसानों और देश को प्रभावित करती हैं।

प्राकृतिक समस्याएं :

सूखा, अतिवृष्टि, तूफान आदि इन समस्याओं का मुख्य कारण है। जलवायु परिवर्तन के कारण इन समस्याओं की चुनौती बढ़ी है। कई बार ये समस्याओं के कारण कृषि का इतना अधिक नुकसान हो जाता है कि किसानों के लिए अस्तित्व संकट बन जाता है।

सामाजिक-आर्थिक समस्याएं :

इन समस्याओं में कृषि जोतों की असमानता और खेतीहर समुदायों के बीच कृषि भूमि का असमान वितरण है। कृषि के तरीकों में बदलाव न होने की बड़ी वजह भी यही है। देश के जिन राज्यों में भूमि संबंधें में सुधार हुआ है, दूसरे शब्दों में कहें तो, जहां भूमि सुधार सही तरीके से हुआ है, वहां कृषि के तरीके भी बदले हैं।

इसके अलावा सिंचाई सुविधाओं का अभाव या पर्याप्त न होना, आवश्यक परिवहन सुविधाओं की कमी, दोषपूर्ण विपणन व्यवस्था, खाद-बीज से लेकर अत्याधुनिक कृषि यंत्रों के लिए किसानों के पास पूंजी का न होना और सार्वजनिक वित्तपोषण या ऋण के स्रोतों तक पहुंच का न होना और अपर्यापत कृषि बीमा आदि ऐसी समस्याएं हैं।

अर्थव्यवस्था में कम हुआ है कृषि का योगदान

इन समस्याओं के कारण ही बीते तीन दशकों के दौरान जहां भारी संख्या में किसान कृषि कार्य छोड़ने को मजबूर हुए हैं और देश की अर्थव्यवसथा में कृषि का योदान कम हुआ है। कृषि का अपेक्षित विकास न होने का ही परिणाम है कि मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर राज्यों के गांवों से शहरों की ओर पलायन बढ़ा है। साथ ही देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का अंश जो 1990 में लगभग 35 प्रतिशत था, वह 2021 में घटकर 15 प्रतिशत रह गया।

हालांकि इस बीच कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में कई अनुसंधान हुए हैं। खाद्यान्नों, फलों और सब्जियों के उन्नत बीजों की नई किस्में विकसित करने से लेकर हल्के और किफायती कृषि उपकरणों का निर्माण हुआ है। लेकिन देश के बहुसंख्य किसानों तक वे नहीं पहुंचे हैं।

किसानों की समस्याओं का समाधान क्या है ?

किसानों की इन दोहरी समस्याओं का समाधान ढूंढ निकाला है सूचना प्रौद्योगिकी के नवीनतम आविष्कार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (Artificial Intelligence) यानी कृत्रिम मेधा ने। वर्ष 2023 में दुनिया के तमाम देशों में कृषि क्षेत्र में नई प्रवृति (Trends) देखने को मिली है, उसका कारण ही यह तकनीक है। भारत ने AI4AI (Artificial Intelligence for Agriculture Innovation) कार्यक्रम के जरिए यह पहल की है।

पीपीपी (Public Private Partnership) मॉडल पर आधारित इस पहल के बारें में कहा गया है कि इस तकनीक से किसानों को जलवायु परिवर्तन सहित सुखे व बाढ़ जैसी आपदाओं से होने वाले नुकसान से बचाय जा सकेगा और विपणन की खामियों के कारण उन पर पड़ने वाले बोझ को भी कम किया जा सकेगा।

हालांकि, इस संबंध में उत्तर प्रदेश, महराष्ट्र आदि कई राज्यों ने भी वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम को डिजीटल मार्केटिंग और एक्सपोर्ट के प्रस्ताव भेजे हैं लेकिन बड़ी सफलता तेलंगाना को मिली है।

तेलंगाना की सराहनीय उपलब्धि

तेलंगाना में सागू बागू परियोजना’ (Saagu Baagu Project) में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस संचालित एग्रीटेक और डेटा प्रबंधन तकनीक से राज्य के 7,000 मिर्च उत्पादक किसानों की पैदावार में वृद्धि हुई है, जिससे किसानों की कमाई दोगुनी हो गई। राज्य सरकार का दावा है कि सागु बागू परियोजनाके तहत 500,000 किसानों को इस तकनीक के दायरे में लाने के लिए पांच मूल्य श्रृंखलाओं में इसका विस्तार करेगी। तेलंगाना सरकार का यह विश्वास कृषि में एआई की व्यापक संभावनाओं को उजागर  करता है।

छोटे किसानों के लिए अधिक फायदेमंद 

भारत के छोटी जोत वाले किसानों को महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। वे अक्सर अनियमित मौसम और जलवायु परिवर्तन, कीटों के संक्रमण और कम पैदावार की समस्याओं से जूझते हैं। आर्थिक रूप से कमजोर छोटे किसान स्थानीय महाजनों (ऋणदाताओं) से उच्च ब्याज दरों में ऋण लेने को मजबूर हो जंते हैं। सूखे या अतिवृष्टि के कारण उनकी फसल बर्बाद हो जाती है या बाजार में उन्हें सही कीमत नहीं मिल पाती तो उनके लिए बड़ी मुश्किल पैदा हो जाती है। यह तकनीक उन्हें इस दोहरे संकट से बाहर निकालेगी।

विश्व आर्थिक मंच का दृष्टिकोण

एआई के माध्यम से कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और किसानों को विपणन के मुश्किलों से बचाने के लिए भारत की इस पहल की विश्व आर्थिक मंच ने सराहना की है। मंच ने कहा है कि भारत सेंटर फॉर द फोर्थ इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन (C4IR) अनुरूप कृषि के बदलाव (Transformation of Agriculture) के लिए कदम उठा रहा है। भारत की यह पहल कृषि क्षेत्र में नवीन समाधान विकसित करने और उन्हें लागू करने के लिए सरकारों, शिक्षाविदों और उद्यमियों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को एक साथ लाएगी।

कृषि क्षेत्र में बढ़ेगा निवेश

विशेषज्ञ निरंतर इस बात पर चिंता व्यक्त करते रहे हैं कि जिस गति से दुनिया की आबादी बढ़ रही है उससे आने वाले कुछ दशकों में दुनिया के वर्तमान कृषि उत्पादन कम पड़ जाएंगे। इस चिंता के बावजूद कृषि क्षेत्र में उद्योग, व्यापार और सेवा क्षेत्रों की तुलना में कृषि में निवेश कम हो रहा है।

कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के उपयोग से निवेश को बढ़ावा मिलेगा, जिससे कृषि पर निर्भर, मुख्यतः ग्रामीणों के जीवन स्तर में भी सुधार होगा। यही नहीं सूचना प्रौद्योगिकी आधारित इस तकनीक के लागू होने से कृषि क्षेत्र की सरकारों पर निर्भरता भी कम हो जाएगी, जैसा कि अन्य क्षेत्रों में हुआ है।


Search File : 
https://docs.google.com/document/d/16inUP0jcKAscq6uhZY13eEnydhoH4p_-Gw4JelADpls/edit

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ