New Agriculture Trends: कृषि क्षेत्र में पैदा होंगे रोजगार के अवसर, बदलेगी गा्रमीण अर्थव्यवस्था की तस्वीर


 भारतीय कृषि की तमाम समस्याओं और चुनौतियों के बावजूद कृषि के नवीनतम रुझान (New Agriculture Trends) काफी उत्साहवर्धक हैं। इन सकारात्मक रुझानों का प्रभाव कृषि उत्पादन और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों पर पड़ना तय है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था (Rural Economy) के उद्धार के साथ-साथ देश की अथव्यवस्था में कृषि और कृषि आधारित या उससे संबंधित व्यवसायों के निर्णायक योगदान के लिए भी आवश्यक है।

माना जा रहा है कि 1960 के दशक की हरित क्रांति (Green Revolution) के समान ही ये रुझान भी भारतीय कृषि के स्वरूप को बदलने में सहयक हो सकते है। हरित क्रांति मुख्य रूप से खाद्यान्न उत्पादन पर केंद्रित थी। इसके लिए खाद्यान्न की बेहतर उपज देने वाली और सूखा-प्रतिरोधी किस्मों को बढ़ावा देने के साथ-साथ कृषि यंत्रों के निर्माण पर जोर दिया गया था।

आज की जैसी चुनौतियां और चिंताएं उस समय नहीं थीं। जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण प्रदूषण, शिक्षित युवाओं के समक्ष रोजगार के सीमित अवसर और ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन के कारण जनसंख्या असंतुलन जैसी समस्याएं, जो आज की प्रमुख चिंताएं हैं उस समय नहीं थी। कृशि क्षे. के नए रुझान इन्हीं चिंताओं को रेखांकित करते हैं।

भारतीय कृषि के नए रुझान (New Trends of Indian Agriculture)

कृषि विविधीकरण

कृषि उपजों में बढ़ोत्तरी के लिए रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल और भूमिगत जल के दोहन से मिट्टी की उर्वरता और गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कृषि विविधकरण (Agriculture Diversification) इस समस्या से बचाव का सबसे कारगर उपाय माना गया है। इसमें खद्यान्नों के साथ-साथ बागवानी फसलों, सब्जियों, तेलों आदि का उतपादन और नाइट्रोजन-स्थिरीकरण संयंत्रों आदि का उपयोग शामिल है।

भारत में कृषि के नवीनतम रुझानों में से एक, कृषि विविधीकरण को भूमि की उर्वरकता को बनाए रखने और कृषि में नवीनतम प्रौद्योगिकी के लिए आवश्यक है। अच्दी बात यह है कि इस रुझान से शिक्षित युवाओं का ध्यान खेती और उससे संबंधित व्यवसायों की ओर गया है। देश के लगभग सभ्सी क्षेत्रों में कई युवा इंजीनिरिंग, कंप्यूटर साइंस और प्रशासनिक सेवाओं का कैरियर छोड़ कर कृषि की ओर प्रवृत हुए हैं। 

फल और सब्जी उत्पादन

फल और सब्जी उत्पादन हालांकि कृषि का अभिन्न अंग रहे हैं। पहले किसान या ता इनका उत्पादन निजी उपयोग के लिए करते थे या व्यावसायिक दृष्टि से इनका बड़े स्तर पर किया जाता था। लेकिन अब छोटे स्तर पर भी बागवानी (Horticulture) की जाने लगी है। फलों की खेती में एक बार श्रम करना पड़ता है उसका लाभ वर्षों तक मिलता है। सब्जियों के मामले में स्थिति उल्टी है, इसमें श्रम ज्यादा लगता है लेकिन आमदनी अच्छभ् होती है।

कृषि के इस नए रुझान से देश के कई हिस्सों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नवजीवन मिला है। किसानों के साथ-साथ कृषि उपजों का व्यापार करने वाले लोगों की आमदनी बढ़ी है। कई क्षेत्रों में यह कार्य ग्रामीणों की सहकारी समितियां कर रही हैं। यही नहीं कई स्थानों पर फलों को प्रसंस्कृत कर जूस, जैम, जैली, अचार, मुरब्बा आदि भी बनने लगे हैं।

फूलों की खेती

फूलों की खेती (Floriculture) भारत में कृषि के नवीनतम रुझानों में से एक है। जैसे-जैसे कृषि से संबंधित प्रौद्योगिकी में सुधार हो रहा है, फूलों का उत्पादन यानी फूलों की खेती भी बढ़ रही है। फूलों की खेती में हालांकि दक्षिण भारतीय राज्यों में अधिक होती है, लेकिन इधर उत्तरखंड, हिमाचल प्रदेश और पूर्वोंत्तर के राज्यों में भी इसका प्रचलन बढ़ा है। फूालों की खेती के कारण ही इन क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन भी बढ़ा है।

जैविक कृषि

जैविक कृषि (Organic Farming) को व्यावसायिक दृष्टि से काफी फायदेमंद समझा जाता है। हालांकि इसमें सामान्य प्रचलित कृषि प्रणाली की तुलना में उत्पादन कम होता है लेकिन पर्यावरण प्रदूषण और स्वास्थ्य प्रति तजी से बढ़ी चेतना के कारण जैविक उत्पादनों की अच्छी खासी कीमत मिल जाती है।

जैविक कृषि खाद्यान्न उत्पादन तक ही सीमित नहीं होती बल्कि बागवानी और पशुपालन भी जैविक आधार पर किए जाते हैं। महानगरों के आसपास और पर्वतीय क्षेत्रों में जैविक कृषि का काफी प्रचलन बढ़ा है। कई पढ़े-लिखे और दक्ष व्यासायिक जैविक कृषि करने लगे हैं, सीमित भूमि में जैविक कृषि से उनकी आमदनी भी अच्छी हो रही है।

सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग

भारतीय कृषि का यह नवीनतम रुझान चौंकाने वाला है। कृषि में सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग कई रूपो में दिखाई देता है। IoT अर्थात इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Internet of Things) की तकनीक से जरिए मौसम, मिट्टी की नमी और तापमान सेंसर, पौधे और पशुधन ट्रैकिंग और डेआ संकलन आदि काम किए जाते हैं। इस तकनीक से किसान अपने मोबाइल पर वास्तविक स्थिति की जानकारी हासिल कर सकते हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग निम्नलिखित तीन रूपों में होता है;

कृषि रोबोटिक्स : कृषि रोबोटिक्स की धारणा दुनिया के विकसित देशों के लिए नई नहीं है लेकिन भारत के लिए यह अत्यंत नई और विस्मयकारी है।  सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी इस तकनीक का उपयोग बीज बोने, फल तोड़ने, कटाई, रोपण और कई अन्य अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस : कृत्रिम मेधा यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (Artificial Intelligence) से किसानों को वास्तविक समय का डेटा मिलता है। जैसे मौसम की जानकारी, फसल की उपज और बाजार में फसल की कीमतें अािद। इसके अलावा, इस तकनीक की मदद से समय का उपयोग और उसके सुधारात्मक परिणाम प्राप्त होते है।

ड्रोन : ड्रोन का उपयोग फसलों की निगरानी, उर्वरकों और कीटनाषकों का छिड़काव करने आदि के लिए किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रोन का उपयोग दो वर्ष पहले प्रधानमंत्री संपत्ति योजना के तहत नक्शें बनाने के लिए किया गया था। कृषि में ड्रोन के उपयोग से समय और श्रम दोनों की बचत होती है।

भारतीय कृषि के इन नए रुझानों से निश्चित ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति में बदलाव होगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।


Source: https://www.tractorjunction.com/blog/the-latest-trends-in-agriculture-in-india

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