चिकित्सा क्षेत्र में सक्रिय स्वैच्छिक संगठनों से लेकर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री तक भले ही देश में पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं न होने की बात करते हों सीनियर फिजीशियन डॉ. अशोक कुमार शुक्ल देश में चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता से पूरी तरह संतुष्ट नजर आते हैं। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से 1986 में एम.डी. इंटरनल मेडिसिन, डॉ. शुक्ला राजधानी के प्रतिष्ठित अस्पतालों सर गंगा राम, डॉ. राममनोहर लोहिया, होली फेमिली और नौएडा के कैलाश हास्पीटल में में कार्य कर चुके हैं। डॉ. शुक्ला का कहना है कि भारत में अमेरिका, इंग्लैंड जैसे विकसित देशों से भी बेहतर चिकित्सा सुविधाएं हैं।
आधुनिक
चिकित्सा पद्धति में मेडिसिन का क्या योगदान है?
चिकित्सा
क्षेत्र में मेडिसिन सबसे महत्वपूर्ण है। आप हर जगह चीरफाड़ नहीं कर सकते। जैसे
दिमाग, हार्ट
और आँखों से संबंधित बीमारियों में सर्जरी काी भूमिका बहुत ही कम होती है। सामान्य
तौर पर देखा जाए तो 90 प्रतिशत
उपचार मेडिसिन से ही होता है।
हाल
के वर्षों में विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए ॔योग’ को विशेष प्रचार मिला
है। क्या इससे मडिसिन का महत्व कम हुआ है?
योग, एक्सरसाइज और
फिजियोथेरेपी भी मेडिसिन का ही हिस्सा हैं। कुछ बीमारियाँ ऐसी होती हैं जिनके लिए दवा
लेना आवश्यक होता है लेकिन अधिकतर बीमारियाँ दवा के बिना भी नियंत्रण में आ सकती
हैं। सामान्यतः 25 वर्ष
की उम्र के बाद जब शरीर का विकास रुक जाता है तो योग, एक्सरसाइज और खानपान
से शरीर को मेंटेन रखना होता है। यह सब मेडिसिन कर हिस्सा है।
हमारे
देश में मेडिसिन की उपलब्धता की क्या स्थिति है?
उत्तर
: बहुत अच्छी स्थिति है। विदेशों की तुलना में यहाँ उपचार सरल और सर्वसुलभ है।
अमेरिका इंग्लैंड जैसे देशों में रोगियों को उपचार के लिए 66 महीने इंतजार करना
पड़ता है। वहाँ पर ईलाज का एक ही चैनल है। लेकिन हमारे यहाँ कई चैनल हैं। हर वर्ग
के लोगों के लिए उनकी पहुंच और सुविधा के अनुसार चिकित्सा सुविधाएं हैं।
अक्सर
कहा जाता है कि देश में जनता की जरूरत के हिसाब से डॉक्टर और अस्पताल दोनों ही कम
हैं, इस
बारे में आप क्या कहते हैं?
यदि
हम एक पद्धति की बात करें तो ऐसा कहा जा सकता है। लेकिन हमारे यहाँ कई पद्धतियां
हैं। ऐलोपैथिक, आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथी
सभी तरह की उपचार पद्धतियां हैं। इनमें से हर जगह पर कोई न कोई सुविधा जरूर उपलब्ध
हो जाती है। वैसे हम ऐलोपैथी की ही बात करें तो छोटेछोटे कस्बे तक में एमबीबीएस
डॉक्टर और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं और जिला स्तर पर तो अत्याधुनिक सुविधाओं
वाले सरकारी और प्राइवेट अस्पताल हैं।
क्या
आप यह मानते हैं कि उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के हिसाब से एक आम हिन्दुस्तानी
स्वस्थ है?
ऐसा
भी नहीं कहा जा सकता बल्कि स्वास्थ्य के प्रति हमारी चेतना का पूरी तरह विकास नहीं
हुआ है। कई तरह की बातें हैं, जिनमें एक हमारे खानपान, रहनसहन और जीवन शैली
में आया बदलाव प्रमुख है। हमारी पुरानी जीवन शैली अधिक हाइजनिक (स्वास्थ्य वर्धक)
थी। खाने का समय और तरीके, शारीरिक
श्रम और पूरी दिनचर्या ऐसी थी हमें अधिक स्वस्थ रखती थी। यदि हम पुरानी प्रथाओं और
जीवन शैली को अपनाए तो अधिक स्वस्थ रह सकते हैं।
एक
व्यवसाय के रूप में मेडिसिन की क्या स्थिति है?
उत्तर
: चिकित्सा जगत में एम.डी. मेडिसिन स्पेशलाइजेशन (विशेषज्ञता) का क्षेत्र है।
एमबीबीएस करने वाले टॉपर स्टूडेंट एम.डी. मेडिसिन के लिए चुने जाते थे। पहले 2 प्रतशत छात्रों को
एम.डी. मेडिसिन करने का मौका मिलता था अब इसे ब़ाकर करीब 4 प्रतिशत कर दिया है।
एक.डी. मेडिसिन करने के बाद ही कोई भी डॉक्टर सुपर स्पेशलाइजेशन की ओर ब़ता है।
इसमें
रोजगार की कितनी संभावनाएं हैं?
उत्तर
: असीमित संभावनाएं हैं। मेडिसिन चिकित्सा जगत की एक ऐसी विधा है, जिसकी मांग सबसे अधिक
रहती है। सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्रों में एम.डी. मेडिसिन के लिए पर्याप्त
संभावनाएं हैं। यदि कोई नौकरी करने के बजाय अपना क्लीनिक खोलना चाहे तो यह
व्ययसाध्य भी कम है। रेडियोलॉजी या सर्जरी की तरह इसमें मशीनरी की अधिक जरूरत नहीं
होती।
एक
चिकित्सक के नाते हमारे पाठकों को क्या हिदायत देना चाहेंगे?
उत्तर
: हमेशा स्वस्थ रहें। खानपान और रहनसहन में स्वास्थ्य वर्धक तरीकों को अपनाएं।
नियमित एक्सरसाइज करें और 40 वर्ष
की उम्र होने पर एक बार अपना पूरा चेकअप जरूर कराएं।
प्रस्तुति : इन्द्र चन्द रजवार
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